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रक्षक ही भक्षक बन गया तो जिम्मेदार कौन..पुलिस का मानवता को शर्मसार करता राक्षसी रूप


पुलिस थाने में सीआई सहित छह पुलिस कर्मियों ने दलित महिला के साथ बलात्कार किया मानवता की हद पार करते हुए प्लास से पैर के नाखून तक उखाड़े। यह तो राजस्थान पुलिस का घिनौना चेहरा है। मुख्यमंत्री गहलोत के पास ही है गृह विभाग।

जयपुर

 पुलिस ने मानवता की सारी हदे पार करते हुए अपराधियों से भी घिनोना कृत्य व पुलिस विभाग को शर्मसार करते हुए  एक दलित महिला के साथ मानवता की सारी हदें पार करते हुए गिनोने कृत्य को अंजाम दिया । महिला का आरोप है कि तीन जुलाई को चार-पांच पुलिस वाले घर आए और जबरन उठा कर चूरू जिले के सरदार शहर पुलिस स्टेशन पर ले गए। पहले पुलिस वालों ने पट्टों से बुरी तरह पीटा और फिर एक महिला सिपाही के जरिए शरीर के सारे कपड़े उतरवा दिए। बाद में सीआई रणवीर सिंह सहित छह पुलिस कर्मियों ने बारी बारी से बलात्कार किया। पिटाई के दौरान ही प्लास से पैर के नाखून तक उखाड़े गए। दो दिन पहले देवर को भी चोरी के आरोप में पकड़ा गया था। पीडि़ता का आरोप है कि थाने पर ही देवर को फांसी पर लटका कर मार डाला गया। थाने पर देवर की मौत के बाद पुलिस में हड़कंप मचा है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ऐसी घिनोने कृत्य अगर पुलिस के बंदिशें करने लगे है तो फिर कानून का रक्षक कौन ...हर बार राजस्थान पुलिस का घिनौना चेहरा सामने क्यों आता है? थाने में गैंगरेप की शिकार पीडि़ता का दर्द बताता है कि महिला पुलिस कर्मी भी पुरुष पुलिस कर्मी से पीछे नहीं है। महिला पुलिस कर्मियों को थाने पर इसलिए तैनात किया गया, ताकि महिलाओं के साथ सद्व्यवहार हो, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि महिला पुलिस कर्मी ज्यादा अत्याचारी हो रही हैं। जब कोई महिला पुलिसकर्मी थाने में बंद बेबस महिला के कपड़े उतरवाने का काम करेगी तो फिर थाने के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसी घटनाओं से प्रतीत होता है की राजस्थान में पुलिस को कानून का कोई भय नही है ।  राजस्थान में सरदार शहर जैसी घटनाएं आए दिन हो रही हैं। यह माना कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का ज्यादा समय इन दिनों दिल्ली में व्यतीत हो रहा है। उन्हें अपने प्रदेश की जनता से ज्यादा कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के भविष्य की चिंता है। गहलोत कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में भी सक्रिय हैं और अब ऐसा अध्यक्ष चाहते हैं तो गांधी परिवार के इशारे पर ही काम करें। गहलोत की पार्टी के प्रति वफादारी पर किसी को ऐतराज नहीं है, लेकिन गहलोत को थोड़ी चिंता प्रदेश की जनता की भी करनी चाहिए। गहलोत ने गृह विभाग अपने ही पास रखा है, ऐसे में सरदार शहर पुलिस थाने पर हत्या और गैंगरेप की जो वारदात हुई है उसकी सीधी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की ही है। लेकिन  गहलोत चुप हैं। पिछले दिनों जब भूपेन्द्र यादव को प्रदेश का डीजीपी बनाया गया था, तब मीडिया ने तारीफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन अब यादव  भी कोई प्रभावी भूमिका में नजर नहीं आ रही है। असल में सरकार की मजबूती का असर प्रशासन पर पड़ता है। इन दिनों प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस की सरकार चल रही है उसमें मजबूती नजर नहीं आती है। सरदार शहर प्रकरण में सरकार को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। ऐसे गिनोने कृत्य करने वालो को नया कानून  बना कर बीच चौराहे पर फांसी पर लटका देना चाहिए जिससे दूसरे ऐसा कृत्य करने से पहले सो बार सोचे ... अगर रक्षक ही भक्षक बन जाए तो जिम्मेदार कौन ??

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रमेश दायमा की कलम से

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