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मौत के बाद भी महानरेगा में हाजरी,खुलेआम मची लूट मारवाड़ पंचायत समिति के पाचेटिया का है मामला फर्जीवाड़ा के हदे पार कर रिकार्ड बना रही पंचायत समिति मारवाड़ जंक्शन

मौत के बाद भी महानरेगा में हाजरी,खुलेआम मची लूट मारवाड़ पंचायत समिति के पाचेटिया का है मामला

फर्जीवाड़ा के हदे पार कर रिकार्ड बना रही पंचायत समिति मारवाड़ जंक्शन

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मारवाड़ जंक्शन पाली



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उपखंड मारवाड़ जंक्शन के पंचायत समिति कोरोनो महामारी मैं भी  फर्जीवाड़े  से अछूती नहीं रही।
 फर्जीवाड़े के मामलों में सुर्खियों में रहने वाली पंचायत समिति मारवाड़ जंक्शन फर्जीवाड़े में एक और फर्जीवाड़े का मामला प्रकाश में आया है । पूर्व में तो मच्छरों के मारने में हुई धांधली में बिना सरपंचों की परमिशन से भुगतान करना, करोड़ों रुपए का हेड पंप घोटाला, इसी तरह के कई घोटाले में सुर्खियों में रही इस पंचायत समिति में अब तक जांच के नाम पर मात्र दिखावा ही हुआ है पर कार्यवाही या रिकवरी शून्य ही रही है । जिसके चलते घोटालेबाजो के होशले बुलंदियों पर है ।कारण चाहे जो भी हो पर उनकी बादशाहत बरकरार है भले ही  राजनेताओं और अधिकारियों के मिलीभगत के कारण यह बड़े घोटाले भी फाइलों में दब के रह गए। खुलेआम घोटाले होने के बावजूद भी कुछ नहीं हो पाया ऐसा ही एक मामला और उजागर हुआ है जहां पंचायत समिति के पाचेटीया गांव में एक परिवादी ने उपखण्ड अधिकारी व विकास अधिकारी को लिखित में बताया कि उसके परिवार के वर्ष 2012 2014, 2017 में तीन सदस्यों की मौत हो जाने के बाद 2019 में मनरेगा के तहत नाडी खुदाई पुलिया निर्माण सुरक्षा दीवार निर्माण कार्यों में तीनों ही मृतकों के मनरेगा  में नाम दर्ज कर मस्टरोल में नाम दर्ज किए है एवं उसकी पत्नी का मनरेगा में बिना आवेदन किए नाम जोड़कर हाजिरी भरी गई उनके खाते में राशि भी जमा कराई गई, मृतकों के परिजन के पास उक्त ग्राम पंचायत के कनिष्ठ लिपिक ने जाकर उक्त परिवार से मिला और खाते में जमा राशि आधी आधी बांटने की बात कही तब जाकर पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ
  परिजनों ने उच्च अधिकारियों से जाकर शिकायत की एवं शिकायत में बताया गया कि की उसके पिता बुधाराम का निधन  2012 में माता मटकी देवी का निधन 2014 में और उसकी पत्नी का निधन 2017 में हुआ 2019 में तीनों मृतकों का नाम मस्टरोल में डाला गया । एवं  परिवादी की दूसरी पत्नी की 24 अगस्त से लगाकर 5 सितंबर तक  की हाजिरी भरी गई एवं इनका पैसा भी खाते में जमा हो गया, सवाल यह उठता है कि इस धांधली में इस फर्जीवाड़े में मात्र 1 कर्मचारी ही लिप्त है या ओर भी कोई संलिप्त है । इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए । लगता है कि फर्जीवाड़े और मस्टरोल में फर्जी नाम फर्जी  हाजरी आम बात है।
प्रशासन की उदासीनता ओर लापरवाही के कारण ओर मिलीभगत के कारण इन पर कार्यवाही नही होती। जिसके चलते घोटाला पे घोटाले हो रहे है ।

रिपोर्टर- रमेश दायमा

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